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Sunday 28 June 2015

बोहोत लम्हे  हैं  जीने के लिए अगर इच्छा है खुद को खोजने की अपने ही आप मे । 

"मै " आज वो हू जो हमेशा से बनना चाहती थी । एक खुश और आज़ाद विचारों वाली शख्सियत , मेरे लिए दुनिया एक अनोखा उपहार है भगवान का दिया हुआ और सभी प्राणी मेरे साथी । मुझे शिकायत नहीं उस चीज़ या बात के  लिए जो मेरे पक्ष या पास न हो। मुझे तो ख़ुशी है उन हर लम्हों को जीने की जो भगवान में मुझे दिए हैं । मै दिल से यही मानती हू की जब भगवान ने हमे इतनी बड़ी दुनिया दी है तो क्यों न हम उसे देखें जाने पहचाने, उस के साथ थोड़ा वक़्त गुज़ारें । हम क्यों मोह माया और रिश्तों की ज़ंजीरों मई पढ़ कर इस खूबसूरत दुनिया से दूर हो जाते हैं । 
मै चाहती हु की मै भगवान की इस अनोखी रचना को देखूँ जानूं और पेहचानूं ।

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